लोगोलोक में राम
अध्याय सूची:

बालकाण्ड का समापन

इस अध्याय में बालकाण्ड की कथा का समापन होता है, जहाँ राम-सीता विवाह के बाद सभी प्रसंग पूर्ण होते हैं। यह भाग लोकमंगल, मर्यादा और दिव्य आदर्शों की स्थापना के साथ समाप्त होता है, जिससे आगे की लीलाओं की भूमि तैयार होती है।

श्लोक 1

संस्कृत:

पूरे भयो राम विवाहु। मंगल मूल सकल दुख नाहु॥

भावार्थ:

राम-विवाह लोककल्याण और धर्म की स्थापना का संकेत है।

श्लोक 2

संस्कृत:

जनक विदा करि सिया पठाई। प्रेम सहित रघुकुल पहुँचाई॥

भावार्थ:

सीता का विदा होना एक भावनात्मक और मर्यादामय क्षण था।

श्लोक 3

संस्कृत:

नगर अयोध्या हरष बढ़ाई। बाजत बाजन बिमल बड़ाई॥

भावार्थ:

नगर में राम के लौटने पर उत्सव जैसा वातावरण था।

श्लोक 4

संस्कृत:

गुरु वशिष्ठ सब भांति सवारी। कीन्ह गान वेदन उपकारी॥

भावार्थ:

विवाह और धर्मकृत्य का पूर्ण समापन गुरु के निर्देशन में हुआ।

श्लोक 5

संस्कृत:

बालकाण्ड कथा यह प्यारी। सुनत मिटहिं भव दुख भारी॥

भावार्थ:

बालकाण्ड केवल कथा नहीं, मोक्ष और आनंद का मार्ग है।