मानस नाम माहात्म्य
इस अध्याय में श्रीरामचरितमानस के नाम की महिमा का विस्तार से वर्णन है, जिसमें तुलसीदास जी ने नाम के माध्यम से होने वाले कल्याण और भक्ति की चर्चा की है।
श्लोक 1
संस्कृत:
मानस नाम महिमा तु अमूल्य निधि समाना। नामस्मरणं तु सदैव जनसुखदायकम्॥
भावार्थ:
यह श्लोक मानस नाम की अनमोलता और उसके सुखदायक प्रभाव को दर्शाता है।
श्लोक 2
संस्कृत:
नामस्मरणं धर्म मूलं तु भक्तजन सुखदं। नामस्मरणेन तु जीवात्मा हरति दुःखम्॥
भावार्थ:
नामस्मरण की धार्मिक महत्ता और दुःख निवारक प्रभाव।
श्लोक 3
संस्कृत:
मानस नामसि प्रतिष्ठितं भक्तिमय हृदयं। नामस्मरणं तु सदैव मोक्षमार्गदायकम्॥
भावार्थ:
मानस नाम की भक्तिपूर्ण स्थापन और मोक्ष मार्ग देने वाली भूमिका।
श्लोक 4
संस्कृत:
नामस्मरणं तु जीवनं मंगलमय भवति। नामस्मरणं हि भक्तजन सुखप्रदं भवेत्॥
भावार्थ:
नामस्मरण द्वारा जीवन में आने वाला मंगल और सुख।
श्लोक 5
संस्कृत:
मानस नामसि सिद्धिदं तु सर्वसिद्धि कारणम्। नामस्मरणं हि भक्तजन नित्यं हृदय प्रसादकम्॥
भावार्थ:
मानस नाम की सिद्धि देने वाली भूमिका और नामस्मरण का हृदय को प्रसन्न करना।
श्लोक 6
संस्कृत:
नामस्मरणं तु परित्राणं सर्वसंसार दुखनाशकम्। मानस नामसि वन्दनं तु परमसुखदायकम्॥
भावार्थ:
नामस्मरण के दुःख नाशक और मानस नाम के सुखदायक होने की महत्ता।
श्लोक 7
संस्कृत:
नामस्मरणं तु जीवन्मुक्तिदं सदा भवति। मानस नामसि वन्दनं तु सर्वसिद्धि कारणम्॥
भावार्थ:
नामस्मरण से मुक्ति और मानस नाम की वंदना की सिद्धि में भूमिका।
श्लोक 8
संस्कृत:
नामस्मरणं तु भक्तजनमंगलकारकं भवेत्। मानस नामसि सदैव सुखप्रदं भवति हि॥
भावार्थ:
नामस्मरण और मानस नाम के भक्तों को देने वाले मंगल और सुख।
श्लोक 9
संस्कृत:
मानस नामसि प्रतिष्ठितं हृदयमूलं भवेत्। नामस्मरणं तु नित्यं सुखप्रदं सदा भवति॥
भावार्थ:
मानस नाम की हृदय में स्थापन और नामस्मरण के सुखदायक प्रभाव का वर्णन।
श्लोक 10
संस्कृत:
नामस्मरणं तु धनदं दुष्टानां भयहरणम्। मानस नामसि मोक्षदं तु सर्वपापनाशनम्॥
भावार्थ:
नामस्मरण के धन, सुरक्षा, और मोक्ष देने वाले प्रभाव का वर्णन।