मंगलाचरण
श्रीरामचरितमानस का प्रारंभ मंगलाचरण से होता है, जिसमें तुलसीदास जी ने सभी देवी-देवताओं का आह्वान किया है।
श्लोक 1
संस्कृत:
वर्णानामर्थसंघानां रसानां छन्दसामपि। मंगलानां च कर्त्तारौ वन्दे वाणीविनायकौ॥
भावार्थ:
इस श्लोक में तुलसीदास जी सरस्वती (वाणी) और गणेश जी (विनायक) की वंदना कर रहे हैं, जो सभी कलाओं और मंगलकार्यों के स्वामी हैं।
श्लोक 2
संस्कृत:
भवानीशंकरौ वन्दे श्रद्धाविश्वासरूपिणौ। याभ्यां विना न पश्यन्ति सिद्धाः स्वान्तःस्थमीश्वरम्॥
भावार्थ:
यहाँ पार्वती और शिव को श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक बताया गया है। बिना श्रद्धा-विश्वास के भगवान के दर्शन संभव नहीं हैं।
श्लोक 3
संस्कृत:
वन्दे बोधमयं नित्यं गुरुं शंकररूपिणम्। यमाश्रितो हि वक्रोऽपि चन्द्रः सर्वत्र वन्द्यते॥
भावार्थ:
गुरु की महिमा का वर्णन करते हुए कहा गया है कि गुरु कृपा से साधारण व्यक्ति भी पूजनीय हो जाता है, जैसे टेढ़ा चाँद भी शिव के मस्तक पर शोभा पाता है।
श्लोक 4
संस्कृत:
श्रीरामचन्द्रभज मन हरण भवभय दारुणम्। नवकंजलोचन कंजमुख करकंज पदाकंजम्॥
भावार्थ:
यह श्लोक मन को श्रीराम के स्मरण में लगाने का आग्रह करता है, जो सब भय और कष्टों का नाश करते हैं।
श्लोक 5
संस्कृत:
रामभद्र सुजानन्द सरस्वती चरित मानस। सुनत फाल्गुन सुहास नवरस रससिक जान॥
भावार्थ:
यहाँ तुलसीदास की रचना की महिमा बताई गई है, जो सुनने वालों को आनंदित कर देती है।
श्लोक 6
संस्कृत:
सदा सुजानन्द मंगल फल दायक नायक। सदा बिनय सुनयास कृपापात्र रामनाम सागर॥
भावार्थ:
यह श्लोक श्रीराम नाम के पुण्य और कृपा के महत्व को बताता है।
श्लोक 7
संस्कृत:
सियाराम मय सब जग जानी। करहुं प्रणाम जोरि जुग पानी॥
भावार्थ:
यह श्लोक समर्पण और निष्ठा का भाव प्रकट करता है कि सम्पूर्ण संसार सियाराम से ओतप्रोत है।
श्लोक 8
संस्कृत:
दोहा: बिप्र सुनि सुनि मन लगि गए मन हरषि हर्ष पाये॥
भावार्थ:
यह दोहा भक्तिमय मन की स्थिति दर्शाता है जब वह सत्संग सुनता है।
श्लोक 9
संस्कृत:
दोहा: सुमिरि राम पद पंकज बिमल धूप धरे विमल चित्त॥
भावार्थ:
यह दोहा श्रीराम के स्मरण से हृदय की शुद्धि और शांति को दर्शाता है।
श्लोक 10
संस्कृत:
दोहा: जुग सहस्र जोजन पर भानू लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥
भावार्थ:
यह दोहा श्रीराम के अतुलनीय तेज और माधुर्य की व्याख्या करता है।
श्लोक 11
संस्कृत:
दोहा: प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं जलधि लांघि गये अचरज नाहीं॥
भावार्थ:
यह दोहा श्रीराम की अलौकिक शक्तियों का उल्लेख करता है।
श्लोक 12
संस्कृत:
दोहा: दुर्लभ वस्तु कही सुभाषित सुनि तुलसी राम सुमिरन॥
भावार्थ:
यह दोहा तुलसीदास के राम नाम सुमिरन की महत्ता को बताता है।