रामकथा श्रवण
इस अध्याय में मुनियों द्वारा श्रीराम के दिव्य चरित्र और लीलाओं का श्रवण किया जाता है। रामकथा सुनकर सभी ऋषि-मुनि भाव-विभोर हो जाते हैं और प्रभु श्रीराम के प्रति उनकी भक्ति और भी प्रगाढ़ हो जाती है। यह प्रसंग रामनाम की महिमा और कथा-श्रवण के पुण्य प्रभाव को दर्शाता है।
श्लोक 1
संस्कृत:
बैठे मुनि सब राम समीपा। कथा करैं हरि गुण अतीपा॥
भावार्थ:
ऋषि-मुनि प्रेमपूर्वक श्रीराम की महिमा का गान करते हैं।
श्लोक 2
संस्कृत:
सुनत राम जस मुनि मन लागा। प्रेम पुलक तनु लोचन पागा॥
भावार्थ:
श्रीराम के चरित्र का श्रवण करते हुए सबका हृदय आनंद से भर जाता है।
श्लोक 3
संस्कृत:
कहहिं मुनि जय जय रघुनंदन। तोहि सम नहिं त्रैलोक्य मं धन॥
भावार्थ:
मुनि श्रीराम की उपमा समस्त त्रैलोक्य में अद्वितीय मानते हैं।
श्लोक 4
संस्कृत:
राम बिमल जस सबहि सुनावा। संत समाज हरषि मन भावा॥
भावार्थ:
रामकथा का श्रवण संतों को आत्मिक आनंद प्रदान करता है।
श्लोक 5
संस्कृत:
बिनु हरिकथा न जाई बेरा। सो कहि मुनिन्ह लीनि सवेरा॥
भावार्थ:
कथा श्रवण में ही दिन बीत जाता है, यही उनका परम सुख है।