लोगोलोक में राम

रानियों की विशेषता

इस अध्याय में राजा दशरथ की रानियों की गुणों और विशेषताओं का वर्णन है, जो उनके राजकाज और परिवार में समृद्धि का आधार हैं।

श्लोक 1

संस्कृत:

सुन्दराणि राजेन्द्राणि गुणवन्त्यश्च तया सह । धारित्रिणः सहकारिण्यः शीलान्विताः समाहिताः ॥

भावार्थ:

रानियाँ न केवल सुंदर हैं बल्कि गुणी और संयमित भी हैं जो राजा की सहायता करती हैं।

श्लोक 2

संस्कृत:

धृतधर्मा महाबाहुश्च शीलधरा निरमालिन्यः । सुखसम्पदा च युक्ताः सदा पतिप्रियाः सदा हि ॥

भावार्थ:

रानियाँ धर्म और शील की पालिका होती हैं, जो अपने पति की सबसे प्रिय होती हैं।

श्लोक 3

संस्कृत:

विद्यावती च कृतज्ञा च सुन्दरवाणी मनोहराः । सर्वदृष्ट्या गुणाश्च तेषां वर्तन्ते समायुताः ॥

भावार्थ:

रानियों में विद्या, कृतज्ञता, सुंदरता और अनेक गुण होते हैं।

श्लोक 4

संस्कृत:

कर्तव्यनिष्ठा च तेषां शीलसंपदा च निराली । सदा पतिप्रेम्णा सुतानां पालिका च सदा हि ॥

भावार्थ:

रानियाँ अपने कर्तव्यों में निपुण और पति तथा पुत्रों के प्रति समर्पित होती हैं।

श्लोक 5

संस्कृत:

शान्तचित्ताः सहधर्मिणः सदाचारिणः कुलसंरक्षकाः । सर्वदा धर्ममार्गेण चालन्ति स्वधर्मसेविनः ॥

भावार्थ:

रानियाँ शांत स्वभाव की, धर्मपरायण और कुल की रक्षा करने वाली होती हैं।

श्लोक 6

संस्कृत:

एवमस्ति रानिप्रकृति गुणसंपदा महाबलाः । राज्ये च गृहिण्यः सदा भक्त्या पूज्याः सदा हि ॥

भावार्थ:

रानियाँ अपने गुणों और बल से राज्य और गृह में सम्मानित और पूजनीय होती हैं।