रानियों की विशेषता
इस अध्याय में राजा दशरथ की रानियों की गुणों और विशेषताओं का वर्णन है, जो उनके राजकाज और परिवार में समृद्धि का आधार हैं।
श्लोक 1
संस्कृत:
सुन्दराणि राजेन्द्राणि गुणवन्त्यश्च तया सह । धारित्रिणः सहकारिण्यः शीलान्विताः समाहिताः ॥
भावार्थ:
रानियाँ न केवल सुंदर हैं बल्कि गुणी और संयमित भी हैं जो राजा की सहायता करती हैं।
श्लोक 2
संस्कृत:
धृतधर्मा महाबाहुश्च शीलधरा निरमालिन्यः । सुखसम्पदा च युक्ताः सदा पतिप्रियाः सदा हि ॥
भावार्थ:
रानियाँ धर्म और शील की पालिका होती हैं, जो अपने पति की सबसे प्रिय होती हैं।
श्लोक 3
संस्कृत:
विद्यावती च कृतज्ञा च सुन्दरवाणी मनोहराः । सर्वदृष्ट्या गुणाश्च तेषां वर्तन्ते समायुताः ॥
भावार्थ:
रानियों में विद्या, कृतज्ञता, सुंदरता और अनेक गुण होते हैं।
श्लोक 4
संस्कृत:
कर्तव्यनिष्ठा च तेषां शीलसंपदा च निराली । सदा पतिप्रेम्णा सुतानां पालिका च सदा हि ॥
भावार्थ:
रानियाँ अपने कर्तव्यों में निपुण और पति तथा पुत्रों के प्रति समर्पित होती हैं।
श्लोक 5
संस्कृत:
शान्तचित्ताः सहधर्मिणः सदाचारिणः कुलसंरक्षकाः । सर्वदा धर्ममार्गेण चालन्ति स्वधर्मसेविनः ॥
भावार्थ:
रानियाँ शांत स्वभाव की, धर्मपरायण और कुल की रक्षा करने वाली होती हैं।
श्लोक 6
संस्कृत:
एवमस्ति रानिप्रकृति गुणसंपदा महाबलाः । राज्ये च गृहिण्यः सदा भक्त्या पूज्याः सदा हि ॥
भावार्थ:
रानियाँ अपने गुणों और बल से राज्य और गृह में सम्मानित और पूजनीय होती हैं।