लोगोलोक में राम

नगरवासियों का हर्ष

इस अध्याय में भगवान श्रीराम के जन्म पर अयोध्या के नागरिकों के उल्लास, उत्सव और मंगलाचार का सुंदर वर्णन है। समस्त नगर आनंद और भक्तिभाव में डूबा हुआ प्रतीत होता है।

श्लोक 1

संस्कृत:

हरषि नगर बधू सब गईं। घर घर तुर गज बाजन बाजे॥

भावार्थ:

भगवान राम के जन्म की ख़ुशी में पूरे अयोध्या नगर में उत्सव का माहौल बन गया।

श्लोक 2

संस्कृत:

गावत नट नाचत नट नारी। गावहिं मंगल गावनहारी॥

भावार्थ:

अयोध्या में लोक-कलाकारों द्वारा नृत्य-संगीत से उत्सव की शोभा बढ़ाई गई।

श्लोक 3

संस्कृत:

सुनि सुत जन्मु पुरजनु भइ भागी। बधाई लेइ कहइ निज लागी॥

भावार्थ:

प्रत्येक व्यक्ति ने राम के जन्म को अपना सौभाग्य माना।

श्लोक 4

संस्कृत:

पुर सुंदरीन्ह देइ मनि हार। सुमंगल साज किए सिंगार॥

भावार्थ:

नारियाँ भी आनंद में झूमती हुई भगवान राम के जन्म पर सौंदर्य और सज्जा में रमी हुई थीं।

श्लोक 5

संस्कृत:

गावत गीति करत जप जापू। द्रुम पंकज बिच भौंरहिं भौंरि जापू॥

भावार्थ:

संपूर्ण प्रकृति और समाज राम के आगमन का गान कर रहे थे।

श्लोक 6

संस्कृत:

राम जनम सुनि सुरपुर भारी। हर्षि गए सब देव दुलारी॥

भावार्थ:

केवल अयोध्या ही नहीं, स्वर्गलोक भी इस दिव्य जन्मोत्सव से आनंदित हो गया।