लोगोलोक में राम

ऋषियों के दर्शन

इस अध्याय में राम और लक्ष्मण गुरु विश्वामित्र के साथ यज्ञ रक्षण के मार्ग में विभिन्न महान ऋषियों के दर्शन करते हैं। यह प्रसंग भारतीय ऋषि परंपरा, ज्ञान की महिमा और बालकों के भीतर श्रद्धा, जिज्ञासा और भक्ति के भाव को प्रकट करता है।

श्लोक 1

संस्कृत:

गुरु संग रामु लखन दोउ भाई। चले मुनिन के आश्रम जाई॥

भावार्थ:

गुरु विश्वामित्र की संगति में वे आध्यात्मिक यात्रा पर निकले।

श्लोक 2

संस्कृत:

जहँ-जहँ जाहीं मुनिन के आश्रम। देखत राम सकल अनुकरण॥

भावार्थ:

राम ने सभी ऋषियों का सम्मानपूर्वक दर्शन किया।

श्लोक 3

संस्कृत:

संध्या समय सुनि वेद पुकारा। मन हरषित भए मनुज अपारा॥

भावार्थ:

वेदमंत्रों की ध्वनि से वातावरण पवित्र हो गया।

श्लोक 4

संस्कृत:

रामु नमस करि मुनि गन देखे। बचन मधुर बिनती अनुरेखे॥

भावार्थ:

राम ने हर ऋषि का आदरपूर्वक स्वागत किया।

श्लोक 5

संस्कृत:

मुनिन प्रसन्न बोले वरदानी। राम लखन दोउ जन हितकारी॥

भावार्थ:

ऋषियों ने उन्हें आशीर्वाद दिया और महान भविष्य की पुष्टि की।

श्लोक 6

संस्कृत:

आसन दै मुनि बैन सुनाए। ज्ञान भक्ति के रहस्य बताए॥

भावार्थ:

राम और लक्ष्मण ने ऋषियों से आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त किया।

श्लोक 7

संस्कृत:

कहत कथा मुनि हरष बधाए। रामु लखन मन पुलकित आए॥

भावार्थ:

यह दृश्य श्रद्धा, भक्ति और ज्ञान का सुंदर संगम था।