संतों का महात्म्य
इस अध्याय में संतों के महात्म्य, उनकी भक्ति, ज्ञान और समाज में उनके अद्भुत योगदान का वर्णन किया गया है।
श्लोक 1
संस्कृत:
संताः सदा ज्ञानसागराः धर्मदूताः। मनुष्यजनपदं जगत्पालकाः॥
भावार्थ:
संतों का ज्ञान और धर्म के प्रति समर्पण समाज को मार्गदर्शन देता है।
श्लोक 2
संस्कृत:
भक्ति मयाः तेषां हृदय दीपो ज्वलति। शान्तिं देयुः सर्वेषां जीवनमार्गे॥
भावार्थ:
संतों की भक्ति से समाज में शांति और समरसता आती है।
श्लोक 3
संस्कृत:
सन्तोः वचसा सर्वं दुर्गतिं नश्यति। धर्ममार्गेणैव जीवनं सज्जते॥
भावार्थ:
संतों का उपदेश बुराईयों को दूर कर धर्म की ओर ले जाता है।
श्लोक 4
संस्कृत:
येषां चरणां तले भवति लोकशांति। तेषां वन्दना नित्यं करणी चाहिए॥
भावार्थ:
संतों की भक्ति से विश्व में शांति स्थापित होती है।
श्लोक 5
संस्कृत:
संताः प्रियाः भक्तजनानां सुखदाता। दुःखहरन्ति सर्वत्र धर्मसंरक्षकाः॥
भावार्थ:
संतों का प्रेम और संरक्षण सभी के लिए आश्रय है।
श्लोक 6
संस्कृत:
सन्तोः पदस्पर्शेन मुक्तिः प्राप्यते। जन्मसंसारस्य बन्धनं तु हन्यते॥
भावार्थ:
संतों के पास जाकर जीवन का अंतिम उद्धार संभव है।
श्लोक 7
संस्कृत:
संतवेद्यं जगत्प्रकाशं न संशयः। तेषां महात्म्यं सर्वत्र वन्दनीयम्॥
भावार्थ:
संतों की महिमा और योगदान को सभी जगह सम्मान देना चाहिए।