लोगोलोक में राम

संतों का महात्म्य

इस अध्याय में संतों के महात्म्य, उनकी भक्ति, ज्ञान और समाज में उनके अद्भुत योगदान का वर्णन किया गया है।

श्लोक 1

संस्कृत:

संताः सदा ज्ञानसागराः धर्मदूताः। मनुष्यजनपदं जगत्पालकाः॥

भावार्थ:

संतों का ज्ञान और धर्म के प्रति समर्पण समाज को मार्गदर्शन देता है।

श्लोक 2

संस्कृत:

भक्ति मयाः तेषां हृदय दीपो ज्वलति। शान्तिं देयुः सर्वेषां जीवनमार्गे॥

भावार्थ:

संतों की भक्ति से समाज में शांति और समरसता आती है।

श्लोक 3

संस्कृत:

सन्तोः वचसा सर्वं दुर्गतिं नश्यति। धर्ममार्गेणैव जीवनं सज्जते॥

भावार्थ:

संतों का उपदेश बुराईयों को दूर कर धर्म की ओर ले जाता है।

श्लोक 4

संस्कृत:

येषां चरणां तले भवति लोकशांति। तेषां वन्दना नित्यं करणी चाहिए॥

भावार्थ:

संतों की भक्ति से विश्व में शांति स्थापित होती है।

श्लोक 5

संस्कृत:

संताः प्रियाः भक्तजनानां सुखदाता। दुःखहरन्ति सर्वत्र धर्मसंरक्षकाः॥

भावार्थ:

संतों का प्रेम और संरक्षण सभी के लिए आश्रय है।

श्लोक 6

संस्कृत:

सन्तोः पदस्पर्शेन मुक्तिः प्राप्यते। जन्मसंसारस्य बन्धनं तु हन्यते॥

भावार्थ:

संतों के पास जाकर जीवन का अंतिम उद्धार संभव है।

श्लोक 7

संस्कृत:

संतवेद्यं जगत्प्रकाशं न संशयः। तेषां महात्म्यं सर्वत्र वन्दनीयम्॥

भावार्थ:

संतों की महिमा और योगदान को सभी जगह सम्मान देना चाहिए।