लोगोलोक में राम

विष्णु का अवतार रहस्य

इस अध्याय में भगवान विष्णु के श्रीराम रूप में अवतार लेने का गूढ़ रहस्य प्रकट किया गया है। देवताओं की पुकार, धर्म की स्थापना, राक्षसों के विनाश और धरती पर संतों की रक्षा के लिए भगवान ने मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के रूप में जन्म लिया। यह प्रसंग धर्म, करुणा और cosmic justice का प्रतीक है।

श्लोक 1

संस्कृत:

धरनि भार अति जब बधि भयउ। धर्म असंत अधम जग जयउ॥

भावार्थ:

कलियुग पूर्व के समय में अधर्म और दुष्टता से पृथ्वी त्राहि-त्राहि करने लगी।

श्लोक 2

संस्कृत:

देवन सब मिलि बिनती कीन्ही। ब्रह्मा कहेउ नाथ कर लीन्ही॥

भावार्थ:

देवता अत्याचारों से दुखी होकर भगवान विष्णु से अवतरण की याचना करते हैं।

श्लोक 3

संस्कृत:

विष्णु तब बोले बचन सुहाए। सुर मुनि श्रवण सुखद सुनाए॥

भावार्थ:

भगवान विष्णु सभी को आश्वासन देते हैं कि वे स्वयं अवतार लेकर समाधान करेंगे।

श्लोक 4

संस्कृत:

नर तनु धरिहौं रघुकुल राजा। करिहौं लीला अति सब साजा॥

भावार्थ:

भगवान विष्णु श्रीराम रूप में अवतार लेने की घोषणा करते हैं।

श्लोक 5

संस्कृत:

रावनादिक दानव संहारी। धरम राखब लाज हमारी॥

भावार्थ:

अवतार का उद्देश्य – अधर्म का नाश और धर्म की पुनः स्थापना।

श्लोक 6

संस्कृत:

जन हित लागि जन्म मम लीन्हा। करुना सिंधु तनु मनु दीन्हा॥

भावार्थ:

भगवान विष्णु का अवतार करुणा का साकार रूप है।

श्लोक 7

संस्कृत:

अवतार हेतु सुनहु मुनि ग्यानी। राम रूप लीला बखानी॥

भावार्थ:

भगवान राम की लीला केवल इतिहास नहीं, बल्कि दिव्यता का रहस्य है।